तुझी को जो यां जल्वा फ़र्मा न देखा
बराबर है दुनिया को देखा न देखा
मेरा ग़ुन्चा-ए-दिल वोह दिल-गिरिफ़ता
कि जिस को कसो ने कभी वा न देखा
तेरे इश्क़ में हम ने
तेरे इश्क़ में हम ने
तेरे इश्क़ में हम ने
तेरे इश्क़ में हम ने क्या क्या न देखा
तग़ाफ़ुल ने तेरे ये कुछ दिन दिखाए
इधर तूने लेकिन न देखा, न देखा
किया मुझ को दाग़ों सर्व-ए-चिराग़ां
कभो तू ने आकर तमाशा न देखा
तेरे इश्क़ में हम ने
तेरे इश्क़ में हम ने क्या क्या न देखा
हिजाब-ए-रुख़-ए-यार थे आप ही हम
खुली आँख जब, कोई परदा न देखा
शब-ओ-रोज़ ए 'दर्द' दरपाई हूँ उस के
कसो ने जिसे यां समझा न देखा
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